वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />३ मार्च २०१७<br />अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा<br /><br />माया का अर्थ होता है जो जैसा है उसको वैसा नहीं जानना। जो ‘जो’ है उसको वैसा न जानना ही माया है। किसी भी स्थिति को, वस्तु को, व्यक्ति को, समय को, समझा नहीं गया तो उसी समय माया ने अपना काम कर दिया। मूलतः माया का अर्थ है नासमझी।<br /><br />~ आचार्य प्रशांत<br /><br />प्रसंग:<br />माया क्या है?<br />माया को कैसे जाने?<br />माया क्यों लुभावनी है?<br />माया का सामना कैसे करें?<br />क्या जीव ही माया को ऊर्जा प्रदान करता है?<br />माया के प्रभाव से कैसे बचें?<br />गुरु कैसे शिष्य को माया के प्रभाव से बचाता है?<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते?